जिसके मस्तक पर छोटी - सी ,
लगती प्यारी बिन्दी है ।
सारी दुनिया कहती हैं अब ,
लगती न्यारी हिन्दी है ।
जनमानस का अभिनंदन है ,
अभिव्यंजन की आशा है ।
बंधन मंथन अनुकंपन की ,
साहित्यिक यह भाषा है।
ज्ञान गीत – संगीत छंद विज्ञान हमारी हिन्दी है।।
रहे सदा अभिमान हमें पहचान हमारी हिन्दी है।।
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- आचार्य प्रताप